5 जून 2013

पत्रकार -मुझ पर भरोसा मत करना ?

 
Hridayesh Joshi -NDTV India.
Sunday. 2/6/2012 ..को अपने फेसबुक पेज़ पर ये लिखते हैं.
''पत्रकारिता का एक स्वर्णिम नियम ये भी है कि पत्रकार कहे कि मैं किसी का नहीं हूं मुझ पर भरोसा मत करना''..........................
 
संभवतः ये उनके व्यक्तिगत विचार है ये मानना लाज़मी है, पर जब इस दो लाइन को थोड़े स्थिर होकर पढ़े तो पता चलता है की वो एक नियम की बात कर रहे हैं जो एक सामूहिक स्तर पर काम करता है और बात जब सामूहिक हो तो फिर कई सारे सवाल -जवाब होते है क्योंकि नियम को व्यक्तिगत उपदेश के दायरे में नहीं रखा जाता.
चुकी Hridayesh Joshi एक जाने-माने पत्रकार हैं तो ये मानना की वो यूं ही कुछ कह दिए ,एक भूल होगी ....और ऐसा भी बिलकुल नहीं की यदि ये इनके विचार हैं तो सब-जन इनसे इत्तेफाक रखे ,कतई नहीं ...हाँ जहाँ तक नियम का सवाल है तो फिर ये एक चर्चा का विषय है;
 
इसे हम दो तरह से समझ सकते हैं ,एक तरीका है की आप ये मान लीजिये की मीडिया किसी व्यक्ति विशेष के स्वार्थ से ताल्लुक नहीं रखता यानि , समाज में जब-जब कोई गलत या सही करता है या फिर होता है या होने का आभास होता है तो मीडिया उस सामजिक हित और अहित दोनों परिस्थितियों को आइने की तरह सबके सामने रखता है.
दूसरा पहलु कहता है- की मीडिया व्यक्ति विशेष को बनाने और बिगाड़ने दोनों का काम करता है ,यानि ये अपने हिसाब से एक समाज का निर्माण करता है जिसपर अपने विचारो को बड़े हीं चतुराई से मनवाने का काम  (मतलब एक बड़े समूह को Manipulate करता है ) करता है , यहाँ आकर बात खटकती है की एक स्वार्थी स्तभ कैसे इतने बड़े समाज के हित में काम कर सकता है..
 
            ''कुछ और चर्चा इसी विषय पर अगले लेख में आप सब के विचारो के साथ '' नमस्कार .

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