हजूर इ कॉपीराइट का होता
है ? लगता है फुलिचनवा आज भोरे-भोरे तारी पी के आया
है , चौक पर से ....पगला गया है...उलुल-जुलूल बक रहा है , कह रहा था जानते है साहेब
कटिया छोटा हो गया है और तारी महंगा, २० रुपया में तो अब नीसो नही आता है.
बड़का साहेब बोल रहे थे की नेताबा सब सबकुछ खरीद लिया है फिर आगे कहने लगा जानते हैं- हाथ-कांग्रेस का
है हुजुर , इ फूल जो आप नोच
रहे है. उ फूल भी बीजेपी वालो का है ,लालटेन- राजद के
पास है , पर पता नही
दिल्ली में लालू जी इसे कैसे जला पाएंगे, सब कह रहा था चौकवा पे की दिल्ली तो
किरोसिन मुक्त होने वाला है.
जानते हैं राम जी का 'तीर' भी कॉपीराईट में है. ''तीर'' अब जदयू के पास है ..बात तो बिलकुले सही कह रहा तू रे हमहु
सुने है - ट्यूबबेल से लेकर टॉयलेट तक का कॉपीराईट नेताओं के पास है, तो कानून या जबरन
देश उनका है।
आजतक तुम और हम
ये समझ रहे थे की आम -आदमी का सरकार है पर आज आकाशवाणी समाचार में सुने हैं कि अब आम- आदमी पर कॉपीराईट केजरीबाल जी का
हो चूका है -तो अब का बचा ''बाबा जी घंटा'' . फुलिचानवा कह रहा
था हुजुर इ पर भी किसी का होगा ...भाग लंगोटी झार के .. आज लगता है ४० के तारी पी
लिया का रे ..... भाग कॉपीराईट आया ...भाग........
5 टिप्पणियां:
सार्थक प्रस्तुति . .हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
धन्यवाद शिखा जी.....
:-)
Zabardast likha hai bhai....
sarthak :)
शाहनवाज़ जी ,सुनील जी आप लोगो की तारीफ हमे दिल से कबूल है ..आप सब का बहुत - बहुत धन्यवाद .
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