ना-ना आप तनिक भी मत घबराइए हमारे ''शीर्षक बाबू '' से , दरअसल हम मुद्दतों बाद कुछ भड़ासी शब्द गढ़े हैं . तो ये साहब शोर्ट -फॉर्म में आपको समझाने की कोशिश कर रहे है . खैर बहुत दिनों से काफी असमंजस में था की कुछ लिख नहीं पा रहा हूँ . आज बहुत दिनों बाद काफी शुकून मिला है -जो कुछ लिखा तो .कुछ अलग या हटके नहीं है ''वर्तमान '' की परछाई है , शब्द पुरखों के ही हैं , पर अंदाज़े -बयां अपनौती (अपना) है ..................
१. फिर चलेगी शायर की कलम क्योंकि फिर कोई '' दुरुस्त '' आया है
बस वही 'तौर' है वो गाँधी था ये अन्ना का दौर है .
१. फिर चलेगी शायर की कलम क्योंकि फिर कोई '' दुरुस्त '' आया है
बस वही 'तौर' है वो गाँधी था ये अन्ना का दौर है .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें