5 जून 2010

आज वो जिन्दगी की जंग हार गयी वो नहीं है चली गयी ......

आज वो जिन्दगी की जंग हार गयी आखिर खुदा ने उसे बुला हीं लिया , ताउम्र उसने अपने परिवार को कुछ इस तरह संभाला की गांव में लोग उसकी मिशाल दिया करते है , उसे किताबी भाषा का तनिक भी ज्ञान नहीं था , पर जब भी लालटेन लेकर शाम को पढने बैठता था वो मेरे बगल में बैठती थी .उसे ये बिलकुल पता नहीं होता था की मै क्या पढ़ रहा हु फिर भी वो बीच -बीच में बोलती थी ये तो कल भी पढ़ा था रोज़ एक हीं पन्ना पढता है और मै डरके फिर दूसरा पन्ना जोर - जोर से पढने लगता था आज मै सोचता हूँ की वो न पढ़े हुए भी कितनी बुद्धिमान थी मेरे पढ़े हुए शब्द में कुछ -कुछ उसे भी याद हो गया था और जब वो सब्द मै एक दिन बाद दुहराता तो फटाक से मुझे रोक देती और मै ठिठक सा जाता था ,वो मेरी अनपढ़ लेकिन मेरे सरकारी स्कूल के बुद्धिमान गुरुजन से अधिक काबिल थी क्यों की मुझे याद नहीं है की कभी भी उन सभी गुरुजनों ने मुझे रोका हो और ये कहा हो की आज भी तुम वही पढ़ रहे हो जो कल पढ़ रहे थे , उसके प्यार की डोर इतनी मजबूत थी की एक 4-5 साल का बच्चा अपने मम्मी -पापा के पास नहीं रहता था , अगर कभी जोर जबरदस्ती से अलग भी होना परता तो मानो ऐसा लगता जैसे कोई उस बच्चे से उसका कोई अनमोल खिलौना छीन रहा हो और वो बेबस सिवाय आंसू बहाने के कुछ भी नहीं कर पा रहा .मै जब भी उसके यहाँ से अपने घर को ले जाया जाता ,वो मुझे जाते समय कुछ चीजें जरुर देती -दूध का पेड़ा अनरसा और कुछ पैसे , अनरसा हमारे मिथिलांचल का बहुत हीं मशहूर पकवान है . दूध , चीनी , सोडा और चावल को महीन पीसकर बनाया जाता है , बहुत हीं खुशबूदार और लज़ीज़ होता है अनरसा । यूँ तो हमारे जानकर मे कई महिलाएं अनरसा बनाती है पर उसके हाथ के बनाये हुए अनरसा का कोई जोर नहीं था , मै जब भी अपने घर (जबरदस्ती ) लाया जाता मेरे घर के सभी लोग मेरे झोले मे अनरसा ढूढने लगते । और मिलने के बाद चंद- मिनटों मे ख़त्म जाता था । वो झोला भी वही बनाई थी चंद कपरों को सिल कर । अफसोश सिर्फ इस बात का है की काश मै अपने गांव के अगल - बगल काम करता होता ताकि उसके अंतिम सफ़र को जी भर देख लिया होता । वो आज चली गयी मुझसे बहुत दूर , भगवान् उसके आत्मा को शांति दे । इस जनम मे तो वो मेरी माँ की माँ थी अगले जनम मे भी भगवन से यही मांगूंगा की वो हीं मेरी नानी बने ........... नानी को नाती का आखरी प्रणाम

3 टिप्‍पणियां:

Archana Chaoji ने कहा…

श्रध्धांजलि ...............ईश्वर से प्रार्थना है उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे .........और आपके परिवार को दुख सहने की शक्ति !!!

Yogesh Sharma ने कहा…

meri sadbhaavnaayein aapke sath hain

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड देखे.......http://shakuntalapress.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html क्यों मैं "सिरफिरा" था, "सिरफिरा" हूँ और "सिरफिरा" रहूँगा! देखे.......... http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html

आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com , http://rksirfiraa.blogspot.com , http://shakuntalapress.blogspot.com , http://mubarakbad.blogspot.com , http://aapkomubarakho.blogspot.com , http://aap-ki-shayari.blogspot.com , http://sachchadost.blogspot.com, http://sach-ka-saamana.blogspot.com , http://corruption-fighters.blogspot.com ) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461