लोकतंत्र की एक मात्र स्वतंत्र आवाज़ '' मिडिया '' वो भी सुरक्षित नहीं है
हमारे ''पत्रचित्रकार '' बंधू कहते है की - पत्रकार वही है जिसे जान का खतरा
हमेसा बना हुआ है ., भैया यहाँ तो जान जा रही ही ...क्या ये पत्रकारिता में हुए कुछ बदलाव का परिणाम है , या फिर ये वजह जहाँ अभी भी वही पत्रकारिता जीवित है ..........
जहाँ कांटे के चुभन का दर्द कलम से बयां होता था ......वजह कुछ तो है .
हम दिवंगत पत्रकार जेडी के आत्मा को शांति के लिए इष्टदेव
से प्रार्थना करते है ....
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