१.है तकलीफ कि वो खुद हीं बँट चूका है
चंद नमो मे कहीं अल्लाह तो कहीं इश्वर
के चाहने वालो मे ।
वो कहता है हम तो एक है एक हीं
धरती बनाई तुम हीं तो जिसने लकीर
खिंच इसपर सरहदें बनाई ।
२.हमे खुद पे नहीं खुदा पे तरस आता है
हसीनो को जमी पे भेज नजाने कैसे आसमा
पे रहता है ।
३.सफ़र ख़त्म होगा मनु कफ़न मे लिपट जाओगे
कुछ छोड़ जाओ ऐसा के किसको मुद्दतो बाद याद
आओगे ।
चंद नमो मे कहीं अल्लाह तो कहीं इश्वर
के चाहने वालो मे ।
वो कहता है हम तो एक है एक हीं
धरती बनाई तुम हीं तो जिसने लकीर
खिंच इसपर सरहदें बनाई ।
२.हमे खुद पे नहीं खुदा पे तरस आता है
हसीनो को जमी पे भेज नजाने कैसे आसमा
पे रहता है ।
३.सफ़र ख़त्म होगा मनु कफ़न मे लिपट जाओगे
कुछ छोड़ जाओ ऐसा के किसको मुद्दतो बाद याद
आओगे ।
2 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी बात लिखी है.
.सफ़र ख़त्म होगा मनु कफ़न मे लिपट जाओगे
कुछ छोड़ जाओ ऐसा के किसको मुद्दतो बाद याद
आओगे ।
SAHI HE
BAHUT KHUB
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
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