25 जुल॰ 2009

किसके साथ गद्दारी कर रहें हैं हम

रामायण की एक बहुत ही लोकप्रिय ठेठ कहावत है " घर का भेदी लंका नाश "विभीषण की वजह से रावण के लंका का सर्वनाश हुआ क्योंकि विभीषण रावण के दुश्मन राम का सेवक था . हमारे देश में भी यही हो रहा है चारो तरफ से पड़ोसी मुल्क के दुश्मन हम पे धावा बोलने को तैयार है चाहे वो पाकिस्तान हो या चीन या फिर और कोई ,कभी कोई आतंकी हमला करता है तो कोई लगातार हमारे बाज़ार में सस्ते मोबाइल, खिलौना बेचकर हमारी अर्थव्यवस्था को कमज़ोर बनाने में लगा हुआ है पर इनसे कहीं बढ़कर खतरनाक दुश्मन हमारे अपने हीं मुल्क के कुछ लोग हैं जो न जाने क्या सोच कर अपने हीं घर को बर्बाद करने पर उतारू हैं आज सुबह -सुबह मै एक हिंदी अख़बार पढ़ रहा था एक कोने में एक कालम छपी थी " उप्र में रोजाना चार कैदी जेल से फरार होते हैं ,गौरतलब है की राज्य में तक़रीबन 62 जेल है जिसमे से औसतन 4 कैदी हर रोज़ फरार हो जाते हैं , पिछले 6 माह में 27 कैदी फरार हो चूका है . बीते साल यह संख्याँ कम थी , साल 2008 में 22 कैदी भागे थे जिनमे 13 को बाद में पकड़ लिया गया था जिसके बाद कुल छोटे - बड़े अधिकारीयों समेत करीबन 150 लोगों को निलंबित किया गया पर इस 6 महीने में 27 कैदी फरार होने के बाबजूद सिर्फ सात जेलकर्मी को निलंबित किया गया अख़बार के मुताबिक " आखिर ऐसा क्यों हो रहा है क्या हमारे रक्षक इतने कमजोर हो चुके हैं की उनको बन्धे हाथ भी सरेआम थप्पड़ माड़ जाता है अभी कुछ दिन पहले "रिता बहुगुणा" के घर हुए आगजनी तो उत्तरप्रदेश पुलिस की निकम्मेपन का सबसे बड़ा गवाही है , आखिर उस इलाके में इतना बड़ा आगजनी कैसे हो सकता है जो की उप्र के सबसे बड़े हाई अलर्ट एरिया में से एक माना जाता है वैसे देखा जाय तो न सिर्फ उप्र बल्कि हमारे पुरे मुल्क के पुलिस तंत्र में सेंध लग चूका है फिर चाहे वो बिहार हो जहाँ सरेआम बीच चौराहे पर एक महिला का कपड़ा फाड़ दिया जाय और पुलिस का पता भी नहीं हो या फिर हरियाणा में जहाँ पुलिस पंचायत के वाहयात फैसले के आगे हाथ पर हाथ धरे तमाशबीन बना रहे , सवाल यह है की रामायण के विभीषण तो बुराई को ख़त्म करने के लिए अच्छाई का साथ दिया था मगर आज के ये विभीषण किससे गद्दारी कर रहें अपने आप से या अपने घर से या फिर अपने हमवतन से हम इस बात से नहीं मुकड़ रहें हैं की , हम इसलिए महफूज़ हैं ताकि सीमा पर हमारे सुर- वीर जवान हमारी रक्षा के लिए अपने सिने पड़ गोलियां खाई है , और हम इस बात से भी नहीं मुकड़ रहे हैं हमारे पुलिस प्रशाशन हमारी सुरक्षा नहीं कर रही है हम उन्हें सलाम करते हैं , पर एक बात जरुर है की लगातार विभीषण की संख्याँ में इजाफा हो रहा है , फिर चाहे ये सिंघासन पर बैठे नेताओं की वजह से हो या फिर कोई और वजह से हम तो बस इतना हीं कहना चाहते हैं की "मौसम की बदलाव का असर किसी एक पर ही नहीं पड़ता पूरी कायनात इसे महसूस करती है फिर क्या फर्क पड़ता कोई पहले तो कोई कुछ देर बाद "

2 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

आज की पीढी को क्‍या मालूम कि पराधीनता क्‍या होती है .. जिन्‍होने स्‍वतंत्रता के लिए खून बहाया .. उनका भी ख्‍याल नहीं इन्‍हें !!

Urmi ने कहा…

मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई!
मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!