8 नव॰ 2013

सत्या2 में नया कुछ भी नहीं..

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सत्या २ में नया कुछ भी नहीं है यदि कुछ नया है तो वो हैं फ़िल्म के सभी कलाकार।   राम गोपाल वर्मा हमेसा नए चेहरे में यकीं करते हैं सो उन्होंने यहाँ भी किया ,एक चीज़ और करते हैं वो अंडवर्ल्ड आधारित फ़िल्म बनाते हैं ,सो उन्होंने सत्या २ भी बनाया है. इसीलिए इसमें नया कुछ भी नहीं है।
 
कहानी बेहद घिसा-पिटा है ,सत्या और सत्या2 में कहीं कोई सम्बन्ध नहीं है , इसे सत्या2 का नाम देना हीं अपने आप में बड़ी भूल है, ऐसा लगता है जैसे  कहानी को राधिका आनंद ने एक पन्ने में निपटा दिया है,
 
गांव से चलकर हीरो शहर पहुँचता है और चंद घटनाओं के बाद गैंगस्टर बन जाता है ,फिर वही खून खराबा, मार -धार। सत्या के किरदार का लुक उसे बेहद कमज़ोर किया हैं लेकिन सत्या के किरदार में पुनीत सिंह रत्न ने अपना बेस्ट दिया है ,कुछ डॉयलॉग को बेहतरीन डिलीवर किया है पुनीत ने ,वहीँ लोहाटी के किरदार में महेश ठाकुर भी बेहतरीन हैं  बांकी सब ऐंवे हैं।
 
गाने यदि नहीं होता तो कुछ और बेहतर बन सकती थी सत्या2 , राधिका ने कहानी के साथ-साथ इस फिल का गीत भी लिखा है और इन्होने बखूबी दोनों के साथ न्याय नहीं किया है . संगीत अजीबो -गरीब है जिसे सुनकर खुद को नोचा हुआ प्रतीत होता है. 
 
यदि आप सत्या  को दिमाग में रखते हुए सत्या 2 फ़िल्म को देखने जा रहे हैं , तो मै ये कहना चाहूंगा कि आप घर पर एक बार फिर सत्या हीं देख ले ,बेहतर होगा। हाँ अगर गैंगस्टर फिल्मो के शौकीन और रामू भक्त हैं तो जरूर देखें।

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