हांसिल करना मेरे जिद में नहीं ,वरना क्या मजाल थी तेरी ;
जो मुझसे बिना शिकवे -गिले किये दूर हो जाती ...
देख मोहब्बत भी किया है और देवदास भी नहीं हूं, हाँ कुछ अफशोस है . पर सच्चे और पक्के इरादे के से तेरे साथ भी था और अब भी हूं .....पर हांसिल करना मेरे जिद में नहीं ,वरना क्या मजाल थी तेरी .....
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