17 फ़र॰ 2013

थिएटर देख रहा हु लगातार

बीते कुछ दिनों से थिएटर देख रहा हु लगातार ( माने ,रोज़ शाम को ) , 15 -20 के करीब तो देख हीं चूका हु , कुछ अच्छे तो कुछ बहुत अच्छे , कल 45''35'' 55'' देखा . आज ''jailbird'' देखने जा रहा हु गुडगांव के  Epicentre में ....राकेश बेदी ने अपने मोनोड्रामा ''मसाज़'' के बाद कुछ थिएटर से  जुडी व्यथा को साझा किया पत्रकारों के साथ  .. बस आज का प्ले देख कर आता हु फिर तमाम पहलु जो मैंने महशुस किया देखा ,समझा और जाना आपको जरुर बताना है ... आज  तो बस इतना बता दू की कृपया थिएटर मुफ्त में ना देखा जाय ...