बीते कुछ दिनों से थिएटर देख रहा हु लगातार ( माने ,रोज़ शाम को ) , 15 -20 के करीब तो देख हीं चूका हु , कुछ अच्छे तो कुछ बहुत अच्छे , कल 45''35'' 55'' देखा . आज ''jailbird'' देखने जा रहा हु गुडगांव के Epicentre में ....राकेश बेदी ने अपने मोनोड्रामा ''मसाज़'' के बाद कुछ थिएटर से जुडी व्यथा को साझा किया पत्रकारों के साथ .. बस आज का प्ले देख कर आता हु फिर तमाम पहलु जो मैंने महशुस किया देखा ,समझा और जाना आपको जरुर बताना है ... आज तो बस इतना बता दू की कृपया थिएटर मुफ्त में ना देखा जाय ...
2 टिप्पणियां:
thanks.koshish karenge ki aapki bat man len . कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
Aapka swagat hai..
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