23 दिस॰ 2009

ऐसे भी चलती है दिल्ली मे ऑटो




ये कहानी दिल्ली के ऑटो की है
यु तो ऑटो मे सफ़र करने वालों

का हर रोज ऑटो चालक से बहस

होती है , लेकिन दिल्ली मे कुछ

ऐसे जगह भी है जहाँ ये

चुप- चाप सवारी बिठा

कर निकल देते है, यदि कभी आप

कश्मीरी गेट से सीलमपुर या फिर

सीलमपुर से भजनपुरा की और

जाने वाले ऑटो पर नज़र डालेंगे

या फिर इसमें सवारी करेंगे तो

तो आपको एक (१) ऑटो मे कम

से कम 5-6 सवारी मिलेगा ।ऑटो

वाले का कहना है की हर चौक पर

ट्राफिक पुलिस को महीने के हिसाब

से पैसे देकर वो मन मर्ज़ी सवारी

लेकर सफ़र करते हैं ।

सवाल ये उठता है की यहाँ

किसे दोसी करार दिया जाय , ऑटो

चालक को ट्राफिक पुलिस को

या फिर सवारी को जो इस
तरह जान जोखिम मे डाल कर
सफ़र करते है .

4 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

अपनी दिल्‍ली यात्रा में हमने तो ऐसा कहीं नहीं देखा .. हाल में ये शुरूआत हुई होगी .. भ्रष्‍टाचार चरम सीमा पर है !!

Manish Jha ने कहा…

संगीता जी हो सकता है आपने
दिल्ली मे कुछ चुनिन्दा जगह का
ही यात्रा किया हो या फिर आपके
नजर मे नहीं आया हो ..वैसे ये सब
काफी दिनों से है....

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

अब ऐसा बहुत कम होता है.....सिर्फ दिल्ली के आसपास लगने वाले गाँवो तक ही यह नजारा देखने को मिलता है... वह भी बहुत कम....ऐसे आटो बड़े रोड पर नही आते....

Manish Jha ने कहा…

परमजीत जी क्या कश्मीरी गेट से
सीलमपुर जाने वाली रोड बरी सरक नहीं
है .