ये कहानी दिल्ली के ऑटो की है
यु तो ऑटो मे सफ़र करने वालों
यु तो ऑटो मे सफ़र करने वालों
का हर रोज ऑटो चालक से बहस
होती है , लेकिन दिल्ली मे कुछ
ऐसे जगह भी है जहाँ ये
चुप- चाप सवारी बिठा
कर निकल देते है, यदि कभी आप
कश्मीरी गेट से सीलमपुर या फिर
सीलमपुर से भजनपुरा की और
जाने वाले ऑटो पर नज़र डालेंगे
या फिर इसमें सवारी करेंगे तो
तो आपको एक (१) ऑटो मे कम
से कम 5-6 सवारी मिलेगा ।ऑटो
वाले का कहना है की हर चौक पर
ट्राफिक पुलिस को महीने के हिसाब
से पैसे देकर वो मन मर्ज़ी सवारी
लेकर सफ़र करते हैं ।
सवाल ये उठता है की यहाँ
किसे दोसी करार दिया जाय , ऑटो
चालक को ट्राफिक पुलिस को
या फिर सवारी को जो इस
तरह जान जोखिम मे डाल कर
सफ़र करते है .
तरह जान जोखिम मे डाल कर
सफ़र करते है .
4 टिप्पणियां:
अपनी दिल्ली यात्रा में हमने तो ऐसा कहीं नहीं देखा .. हाल में ये शुरूआत हुई होगी .. भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है !!
संगीता जी हो सकता है आपने
दिल्ली मे कुछ चुनिन्दा जगह का
ही यात्रा किया हो या फिर आपके
नजर मे नहीं आया हो ..वैसे ये सब
काफी दिनों से है....
अब ऐसा बहुत कम होता है.....सिर्फ दिल्ली के आसपास लगने वाले गाँवो तक ही यह नजारा देखने को मिलता है... वह भी बहुत कम....ऐसे आटो बड़े रोड पर नही आते....
परमजीत जी क्या कश्मीरी गेट से
सीलमपुर जाने वाली रोड बरी सरक नहीं
है .
एक टिप्पणी भेजें