25 जून 2014

डर्टी पॉलिटिक्स

बॉलीवुड में इससे पहले भी कई फिल्म पोलिटिकल स्कैंडल पर बन चुकी है , लेकिन डर्टी पॉलिटिक्स रिलीज होने से पहले हीं पोस्टर विवादों में घिर चुकी है . फिल्म की हिरोइन मलिक्का शेहरावत और निर्देशक केसी.बोकाडिया पर तिरंगे के आपमान का आरोप लगा है.  
कहानी :
यह फिल्म राजस्थान के बहुचर्चित कांड भंवरी देवी के रियल लाइफ पर आधारित है, भंवरी देवी अपने हाई प्रोफाइल पोलिटिकल कनेक्सन से चर्चा में आइ थी और उनकी हत्या २०१२ में हो गयी थी, पूरी फिल्म भंवरी देवी के किरदार के इर्द –गिर्द नज़र आएगी . फिल्म की झलक राजनेताओ के काले करतूत का सच बयां करती है और किस तरह पॉलिटिक्स में पॉवर और पैसा का डर्टी गेम चलता है , कैसे सबूत को मिटाने के लिए जान तक ले लिया जाता है . और कैसे ऊंचाई पर पहुँचने के लिए जिस्म का इस्तेमाल किया जाता है,  गाली गलौज और मलिक्का का  अपने से दोगुने उम्र के सह कलाकार ओम पूरी के साथ हॉट बेड सीन फिल्म को बोल्ड बनाता  है . अब देखना यह है  फिल्म के अंत को निर्देशक के.सी. बोकाडिया किस मोड पे लाकर छोड़ते है यक़ीनन फिल्म का आखरी हिस्सा बेहद दिलचस्प होगा . 
अभिनय  :
मलिक्का अपने चाहने वालों के उम्मीद पर खड़ा उतरेंगी ,क्योंकि फिल्म में उन्होंने वो सब कुछ किया है जिसके लिए उनका फैन बेसब्री से इंतज़ार करता है .रही बात फिल्म के बांकी कलाकार का तो फिल्म में अनुपम खेर ,नसीरुद्दीन शाह , ओम पूरी , जैकी श्रॉफ और आशुतोष राणा शरीखे मंझे हुए कलाकार की मौजूदगी इस फिल्म को शसक्त बनाता है .लेकिन पहले हप्ते टिकिट काउंटर तक दर्शकों को लाने का जिम्मा मलिक्का शेहरावत को जायेगा .

गीत–संगीत

फिल्म में संगीत दिया है आदेश श्रीवास्तव और संजीव दर्शन ने , फिल्म में एक आइटम सौंग ‘’ मेरे घाघरे के लिए घमासान मची है ‘’ दर्शकों को थिरकने पर मजबूर करेगा . बांकी के गाने रोमांटिक हैं जिसे ठीक-ठाक कहा जा सकता है.  

24 जून 2014

स्ट्रगल की मां की आंख'

शान और श्रीमई
हाल हीं में सदाबहार गायक शान और श्रीमई बोस ने एक रूमानी युगल गीत, “ इनी मिनी मो टिक टैक टो , ये गर्मी  थोड़ी बढ़  जाने दो”, को लता मंगेशकर स्टूडियो में रिकॉर्ड किया है. ये गानाअतरंगीस्ट्रगल की माँ की आँखनामी आगामी फिल्म में फिल्माया जाएगा. ये एक यूथ कॉमेडी फिल्म है.गायिका श्रीमई बोस इसी गीत से हिंदी फिल्म जगत में अपना पहला क़दम रख रही हैं. बांकी चर्चा फिल्म 'स्ट्रगल की मां की आंख' आने पर... 



6 जून 2014

फ़िल्मी फिल्म फिल्मिस्तान

सबसे पहले शुभकामना फिल्म निर्माता नितिन कक्कड़ , अभिनेता शारीब हाशमी और फिल्म से जुड़े तमाम कलाकार को . लीक से हटकर फिल्म बनाना कितना जोखिम भरा काम है इस बात को फिल्मिस्तान के डायरेक्टर नितिन कक्कड़ से बेहतर और कौन जानता होगा . फिल्म फिल्मिस्तान २०१२ से बनकर तैयार है लेकिन   अब जाके सिनेमा घरों में लगी है . सोच कर थोड़ा अजीब लगता है और एक सिनेमा प्रेमी होने के कारण काफी दुःख भी हो रहा है.. आज मै इस फिल्म की समीक्षा करने नहीं जा रहा हूं क्योंकि पिछले दो साल में फिल्मिस्तान को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवार्ड से नवाज़ा जा चूका है और कई धांसू फिल्म समीक्षक भी इसकी तारीफ़ कर चुके हैं , तो यक़ीनन फिल्म बेहतरीन होगी.

तो बैगेर फिल्म के बारे में कुछ बताए हुए आज मै ये कहना चाहता हूं कि चलिए इस फिल्म को देखकर आते हैं क्योंकि बहुत कम ऐसी फिल्मे आती है  जो हर क्षेत्र से कसा हुआ हो फिर चाहे वो पटकथा , अभिनय ,निर्देशन या संगीत कोई भी क्षेत्र हो . मै दुर्भाग्य समझता हूं भारतीय फिल्म उद्योग के लिए जिसने ऐसे फिल्म को रिलीज करने में इतने साल खपा दिया , फिल्मिस्तान ने १०० करोड़ क्लब को भी ऐना दिखाया है ..एक और बात आजतक हमने जो हिंदुस्तान और पाकिस्तान पर फिल्मे देखि है उसमे या तो गुस्सा देखा है या जबरदस्ती का प्यार पहली बार एक अलग नज़रिए से किसी ने इस रिश्ते के डोर को छुआ है.. तो चलिए देखकर आते है एक फ़िल्मी फिल्म फिल्मिस्तान.

3 मई 2014

विश्व पत्रकार दिवस – अबकी बार मजबूत और निडर पत्रकार

इस चुनाव में अगर किसी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वो है मीडिया ,क्योंकि मीडिया के साख पर ये धब्बा लगा है कि वो खबर को या तो मूलतः पक्ष में दिखायें है या फिर पूर्णतः विपक्ष में , पेड न्यूज का भी दबदबा रहा है और कुछ वरिष्ठ नेता पर आरोप भी लगे... तो सवाल ये उठता है की क्या आज  भारतीय मीडिया इस काबिल है कि वो विश्व प्रेस दिवस /विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस सीना ठोक कर मना सके.. श्याद आत्ममंथन की जरुरत है जो ये बताएगा की मीडिया के इस दोहरी छवि से समाज को क्या नुकसान हुआ है और क्या होने वाला है... अभी भी लोगो में उम्मीद कयाम है और वो चाहते हैं कि उन्हें स्वतंत्र और स्वक्ष मीडिया मिले जिसपर उन्हें गर्व महसूस हो ....
‘’ आइये अबकी बार पत्रकार को मजबूत बनाये, ताकि वो हमें निडर होकर सच से रूबरू करवाए’’
                       विश्व प्रेस दिवस की शुभकामना.....    



22 मार्च 2014

सब कुछ यहीं है आँखें खोल कर देखो – आँखों देखी


इस हप्ते सिल्वर स्क्रीन पर एक बेहतरीन फिल्म आई है ‘’आँखों देखी’’
निर्माता/निर्देशक/लेखक/अभिनेता रजत कपूर  ने इस फिल्म का निर्देशन किया है साथ ही रजत ने इस फिल्म में बेहतरीन अभिनय भी किया है, फिल्म में मध्यमवर्गिय परिवार की प्रस्तुति लाजवाब है , अभिनेता,कामेडियन संजय मिश्रा ने बावजी के किरदार को जीवंत बना दिया है . यक़ीनन फिल्म अपने आखिर तक दर्शकों को बोर नहीं करती है पर इतना जरूर है की ‘’आँखों देखी’’ का तानाबाना समाज के एक वर्ग विशेष के लिए बुना हुआ है सो फिल्म मनचाहा बिजनेस ना कर पाए...पर एक बार तो देखना बनता है. ‘’आँखों देखी’’ को चॉकलेट  रेटिंग के तरफ से ५ में से  ४.५ चॉकलेट दिया जा रहा है.....

8 फ़र॰ 2014

’हंसी तो फंसी’’ को 5 में से 4 चॉकलेट



http://www.palpalindia.com
इस वीकेंड पर यदि आप सिनेमा देखने की सोच रहे हैं तो मेरी सलाह से ‘’हंसी तो फंसी’’ जरूर देखे. टाइटल थोरा अजीब है पर इसी में फिल्म की खाशियत छुपी हुई है. फिल्म की कहानी को दमदार तरीके से दर्शया गया है. हाँ इतना जरूर है की एक छोटी सी प्यारी कहानी को कुछ ज्यादा खिंचा गया है फिर भी आपको बोर नहीं होने देगा इसकी गारंटी मै लेता हूँ. शादी वाले दृश्य को दिखाने में करण जोहर को महारथ हांसिल है जो इस फिल्म में भी आपको दिखेगा. फिल्म के निर्देशक विनिल मैथ्यू ने अपने कलाकारों से मनमाफिक काम करवाया है . परिणिति चोपड़ा का अभिनय बेहतरीन है. ‘’स्टूडेंट ऑफ दी इयर फेम’’ सिधार्थ मल्होत्रा में सोलो हीरो वाली बात है , उन्होंने इस फिल्म के साथ ये साबित किया है की वो अपने दमखम पर फिल्म हीट करवा सकते हैं. बांकी कलाकार भी अपने किरदार के साथ बखूबी न्याय किया है. विशाल शेखर का संगीत कर्णप्रिय है खासकर भांगरा और ज़ह्नसीब.. मेरे तरफ से फिल्म को 5 में से 4 चॉकलेट ..
www.jhamanu.blogspot.com

18 जन॰ 2014

क्या जंग जापान बनाम अमेरिका हो गया है या फिर चीन भी कूदेगा ?

कुछ दिन पहले खबर आई थी की राहुल बाबा के इमेज को निखारने के लिए जापानी पी.आर. कम्पनी को करोड़ो का ठेका दिया गया है ... फिर इस खबर के आने के एक दिन बाद हीं कांग्रेस ने अपना पल्ल्ला झाड़ते हुए ये बयान दिया कि ऐसा कुछ भी नहीं ये एक तरह का अपवाह है और उनके पास ये सब करने के लिए इतना बजट नहीं है....

बीजेपी भी इस बयान पर कुछ खास नहीं बोल पाया क्योंकि उनके भावी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार एक विदेशी कम्पनी को अपना इमजे निखरवाने में लगा चुके हैं, सो बेहतर इसी में था की वो चुप रहें...

अब सवाल ये उठता है जो राहुल गाँधी खुद को दार्शनिक छवि में ढाले हुए थे वो अछानक इतना प्रखर और संजीदा कैसे हो गए , जरा कल के भासन से एक डायलाग पर नज़र डालिए.... ‘‘कांग्रेस एक सोच है’’– (ये डायलाग राम गोपाल वर्मा के फिल्म ‘‘सरकार’’ से कॉपी-पेस्ट है, जिसमे कहा गया है की सरकार एक सोच है और सरकार को मारने के लिए पहले सरकार के सोच को मारना परेगा)....और   समूचे भाषण में वो पुरे जोशो-खरोस से पेश आये..ऐसा श्याद पहली दफा हुआ होगा की लोग राहुल गाँधी के भाषण सुनने में जोरदार लगा हो...

यक़ीनन जापानी निखार कम्पनी ने अपना असर दिखाना सुरु कर दिया है, फिर भी अगर कांग्रेसी इस बात से अपना पल्ला -झाड रहे हैं तो ऐसा कहना भी पी.आर कम्पनी के प्लान में होगा ,हो सकता है..पर जो भी हो इस चुनावी लड़ाई में

अब भारत कहीं नहीं है ये तो अब जापान बनाम अमेरिका हो गया है..... देखना ये है कि कौन किसको पटखनी देता है.....

अब आप को चाइना का पी.आर हीं बचा सकता ...  बांकी जो आपी नहीं वो पापी भी नहीं या जो आप नहीं वो  सब भाफ है का नारा बुलंद हो